कोटा, 24 जून। ईश्वर की भक्ति त्रिविध दुखों से मुक्ति दिलाती है। आधि दैविक, आधि भौतिक और आध्यात्मिक तीन प्रकार से मिलने वाले दुखों को दूर करने का एकमात्र उपाय ईश्वर की शरण में जाना है। उक्त विचार आचार्य अग्निमित्र शास्त्री ने आर्य समाज विज्ञाननगर में आयोजित वैदिक आध्यात्मिक सत्संग में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि इन तीनों प्रकार के दुखों से बचने के लिए शास्त्रों में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों को करने के लिए कहा गया है।
इस अवसर पर आर्य समाज गायत्री विहार के प्रधान अरविन्द पाण्डेय ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि व्यक्ति को परिवार समाज एवं राष्ट्र के प्रति अपने कर्त्तव्यों का बोध होना चाहिए साथ ही उसी अनुरूप कार्य करने चाहिए।
आर्य विद्वान डॉ. के एल दिवाकर ने कहा कि व्यक्ति को केवल अपनी उन्नति से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, किन्तु सबकी उन्नति में अपनी संतुष्टि माननी चाहिए।
इस अवसर पर आर्य समाज के जिला प्रधान अर्जुनदेव चड्ढा ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज को संगठित करने में अनुभवी लोगों के निर्देशन में युवाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
आर्य समाज विज्ञाननगर के प्रधान जे.एस दुबे ने प्रभु भक्ति का भजन सुनाया एवं मंत्री राकेश चड्ढा ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
फोटो:- प्रवचन करते आचार्य अग्निमित्र शास्त्री।
राकेश चड्ढा
मंत्री
आर्य समाज विज्ञाननगर
मो. 9414252428