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और वे ईसाई होने से बच गए

(प्रार्थना से चंगाई – ईसाई समाज में प्रचलित अंधविश्वास का भंडाफोड़)
 सत्य घटना पर आधारित
  लुधियाना पंजाब के सबसे बड़े शहरों में से एक हैं। डॉ मुमुक्षु आर्य शहर के जाने माने ह्रदय रोग विशेषज्ञ के रूप में प्रसिद्द थे। आपकी धार्मिक विचारधारा स्वामी दयानंद से प्रभावित थी, वेद को आप शाश्वत ज्ञान मानते थे और धर्म के नाम प्रचारित किसी भी अन्धविश्वास से आप कोसों दूर थे।  एक शाम क्लिनिक बंद कर घर आप वापिस जा रहे थे तो एक चौराहे पर अपने भारी भीड़ देखी। आपने देखा की एक ईसाई व्यक्ति मंच से जोर जोर से चिल्ला कर कह रहा था कि जिस जिस को अपनी वर्षों पुरानी कोई भी बिमारी को तुरंत ठीक करना हो तो प्रभु यीशु की शरण में आओ क्यूंकि वही एक हैं जिनको पुकारने से सबके रोग,सबकी परेशानीयाँ दूर हो जाती हैं. वही हैं जो चमत्कार दिखा कर अंधों को ऑंखें देते हैं, अपाहिजों को चलने लायक बना देते है, आओ प्रभु यीशु की शरण में आओ, तुम्हारा कल्याण होगा, तुम पर उपकार होगा।
 एक चिकित्सक होने के नाते डॉ मुमुक्षु की जिज्ञासा ज्यादा ही बढ़ गयी। उन्होंने इस तमाशे का बारीकी से जाँच करने का निर्णय किया। मंच पर उपस्थित वह व्यक्ति अब जोर-जोर से प्रार्थना करने लग गया। उसका कहना था की प्रार्थना के पश्चात वो व्यक्ति मंच पर आये जिनकी बीमारी दूर हो गयी हैं। मंच के बगल में ५-७ पुरुष और महिलाये इकट्ठे हो गए जो मंच पर यह कहने वाले थे की उनका क्या क्या रोग दूर हो गया हैं।  डॉ मुमुक्षु भी मौका देखकर उनके साथ जाकर खड़े हो गए और उनमें से एक के कान में खुसर फुसर कर बोले तुम्हे मंच पर बोलने के लिए कितने रूपये दिए गए हैं। वह बोला की एक हज़ार और  उसने डॉ मुमुक्षु से पुछा और तुम्हे कितने मिले हैं। डॉ मुमुक्षु बोले की मुझे भी एक हज़ार मिले हैं।  एक एक कर सभी मंच पर जाकर अपनी अपनी बिमारियों का बखान करने लगे और यह दावा करने लगे की प्रभु यीशु की प्रार्थना से हमारी सभी बीमारी ठीक हो गयी हैं। जब डॉ मुमुक्षु की बारी आई तो उन्होंने मंच पर जाकर माइक हाथ में लेकर तुरंत ही यह कहा की जो जो व्यक्ति यहाँ पर मुझसे पहले आकर यह बोल कर गया हैं की मेरी बीमारी ठीक हो गयी हैं उन उनको यह सब बोलने के लिए एक-एक हज़ार रूपये दिए गए हैं।
 मंच पर उपस्थित सभी लोग एक दम से भोचक्के रह गए और पूरी भीड़ ने जोर से तालियाँ बजा डाली।  डॉ मुमुक्षु से माइक छिनने की कोशिश की जाने लगी पर वे मंच पर घूमते घूमते इस तमाशे कि पोल खोलने लग गये। शहर के जाने माने चिकित्सक होने के नाते लोगों पर उनके सत्य के मंडन और पाखंड के खंडन का बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा।  अंत में उन्होंने यह कह कर अपना कथन समाप्त किया की यह सब धर्म भीरु हिंदुयों को ईसाई बनाने का एक कुत्सित तरीका हैं।  एक तरफ तो ईसाई समाज अपने आपको इतना पढ़ा लिखा प्रदर्शित करता हैं और दूसरी तरफ इस प्रकार के ढोंग रचता हैं यह अत्यंत खेदजनक बात हैं।
इस घटना के डॉ मुमुक्षु को शहर के सभी प्रतिष्ठित व्यक्ति मिलने आये और उन्हें इस वीरता पूर्ण कार्य के लिए धन्यवाद दिया.
 आज देश में जहाँ कहीं इस प्रकार की प्रार्थना से चंगाई का ढोंग आप जहा कही भी देखे तो इस पाखंड का खंडन अवश्य करे और हिन्दू जाति की रक्षा करे।
डॉ विवेक आर्य

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