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महर्षि दयानंद और आर्यसमाज के विषय में कांग्रेस अध्यक्ष श्री राजऋषि पुरुषोत्तम दास टंडन जी के विचार

महर्षि दयानंद और आर्यसमाज के विषय में कांग्रेस अध्यक्ष श्री राजऋषि पुरुषोत्तम दास टंडन जी के विचार  आर्यसमाज भारतीय संस्कृति का प्रतिक हैं। स्वामी दयानंद को लोग सांप्रदायिक कहते हैं परन्तु मैं इससे सहमत नहीं। मेरे विचार में वे महान थे। उनका… धर्म विस्तृत था। मैं उनको राजनितिक पुरुष भी मानता हूँ। उनकी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश को पढ़ना अपराध समझा जाता था इस विषय में मुझे हाई कोर्ट में पैरवी भी करनी पड़ी। आर्य समाज का सदस्य स्वभावतया राजनीति नहीं भूल सकता। प्रारम्भ में आर्यसमाज कि सच्चरित्रता और नैतिकता के कारण ही सरकारी नौकर प्रभावित होते थे। आर्यसमाज ने शिक्षा, अछूतोद्धार , स्त्री समाज का उत्थान इत्यादि सुधारवादी सफल आंदोलन किये। अब देश स्वतंत्र हैं। जो संस्थायें आज राजनीती में भाग ले रही हैं वे पद लोलुप हैं और आर्यसमाज उनका सुधर कर सकती हैं। पद लोलुप लोग राजनीती का सुधार नहीं कर सकते। शुद्धि आर्यसमाज का परम धर्म हैं। आज कांग्रेस में भ्रष्टाचार हैं आर्यसमाज उसे शुद्ध करे।

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