Categories

Posts

रिकैप: इंडिया के लिए कैसा रहा साल 2017

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी एक कविता है कि क्या खोया क्या पाया जग में, मिलते और बिछड़ते मग में, मुझे किसी से नहीं शिकायत, यद्यपि छला गया पग पग में, एक दृष्टि बीती पर डालें, यादों की पोटली टटोलें, अपने ही मन से कुछ बोलें..

कलेंडर के पन्नों से एक वर्ष और कुछ अच्छी, कुछ बुरी यादें लेकर अतीत की दुनिया की ओर खिसक गया। कुछ दिन बाद यह साल भी इस साल से उस साल कहकर याद किया जायेगा। हालांकि इस साल की शुरुआत केंद्र सरकार ने मातृत्वी लाभ कार्यक्रम देश भर में लागू करके किया। पर कुछ दिन बाद आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले के कुनेरू स्टेशन के पास हीराखंड एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना हादसे में कम से कम 23 लोगों की मौत की खबर दुखी कर गई। जैसे-जैसे जनवरी माह बीता तो फरवरी की एक घटना ने देश की आंखे उस समय नम कर दी जब सीमाओं की रक्षा करते हुए मुठभेड़ में शहीद हुए 32 वर्षीय मेजर सतीश दहिया ने अपनी जान गंवा दी।

फरवरी माह, उत्तर-प्रदेश, पंजाब, गोवा समेत पांच राज्यों के चुनाव को लेकर गरम रहा। इस दौरान मंचो से गधा, श्मशान, कब्रिस्तान, बुर्का और तीन-तलाक, दिन से लेकर रात तक मीडिया में छाये रहे। इस माह अचानक JNU के बाद विचारधारा की कथित लड़ाई कल्चर ऑफ प्रोटेस्ट के नाम से डीयू तक पहुंच गई गुरमेहर को सियासी मोहरा बनाकर तेरी, मेरी, इसकी, उसकी खूब ट्विटर बाजी हुई नेता-अभिनेता और खिलाड़ी कई दिनों तक देशभक्ति और गद्दारी के प्रमाणपत्र बांटने में लगे रहे। पर अच्छा तब लगा जब नेत्रहीन क्रिकेट टीम ने पाकिस्तान को नौ विकेट से हराकर नेत्रहीन टी-20 विश्व कप का खिताब जीत लिया। और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने एक साथ 104 सैटेलाइट्स को लाँच करके नया इतिहास रच डाला।

मार्च माह शुरू हुआ तो महज 16 साल की मासूम नाहिद आफरीन को 46 मौलवियों के फतवे का सामना करना पड़ा। लम्बे अरसे बाद भाजपा को उत्तर-प्रदेश जीतने में सफलता मिली तो कांग्रेस को दुबारा पंजाब तो योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री बने। जब भारत के राजनेता और मीडिया ईवीएम की गड़बड़ी, और अलवर में कथित गौरक्षकों द्वारा पहलू खां की हत्या के मामले को लेकर लीन थे उस समय पड़ोसी देश पाकिस्तान में एक निर्दोष भारतीय कुलभूषण जाधव को एजेंट बताकर फांसी की सजा सुनाई गई।

अचानक सोनू निगम के एक ट्वीट ने धार्मिक और राजनितिक लोगों को लाउडस्पीकर और अजान का मुद्दा थमा दिया। ये अप्रैल की शुरुआत भर थी इसके बाद सहारनपुर में एक शोभायात्रा दो पक्षों में बवाल की वजह बन गई है। मायावती का संसद से इस्तीफा इस वर्ष के नाम रहा।

इसके बाद समान नागरिक संहिता या फिर यूनिफॉर्म सिविल कोड के कानून के लिए देश में बहस चली ही थी कि अचानक नक्सली हमले में 26 जवानों की शहादत से 26 घरों के चिराग बुझ गये।

हरियाणा के रेवाड़ी में स्कूली बच्चियों का छेड़छाड़ से तंग आकर अनशन करना तो निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए चारों दोषियों की मौत की सज़ा को बराकरार रख बलात्कारियों के प्रति स्पष्ट संदेश देना भी इसी वर्ष के नाम रहा।

 

देश इस खुशी और गम के माहौल में खड़ा ही था कि शहीद सैनिक नायब सूबेदार परमजीत सिंह का शव बिना धड़ के उसके गाँव पहुंचा। पाकिस्तान ने शव के साथ जो बर्बरता की थी समस्त देश के लिए यह दोहरा दुःख था। इसके बाद इतनी पीड़ा इस खबर ने भी पहुंचाई जब श्रीनगर की जामा मस्जिद के बाहर सुरक्षा में तैनात पुलिस अधिकारी मोहम्मद अयूब पंडित की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।

जून माह में भारत के अंतरिक्ष संस्थान इसरो ने जीसैट-19 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण, जीएसएलवी मार्क 3 की पहली विकासात्मक उड़ान और अंतरिक्ष में एक साथ 31 सैटलाइट्स का लॉन्च कामयाब करने के साथ हर एक भारतीय का गर्व से सीना चौड़ा कर दिया। जुलाई माह में हिमाचल के कोटखाई के गांव हलाईला में 15 साल की एक स्कूल की छात्रा गुड़िया के साथ गैंगरेप और फिर हत्या ने बेटी बचाओं-बेटी पढाओं पर सवालिया निशान खड़े किये तो राजनीति के अखाड़ों से लेकर मीडिया हाउस तक ने अपनी ऊर्जा देश के प्रथम नागरिक बने महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी की जाति टटोलने में खूब लगाई।

इस वर्ष मद्रास हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि राष्ट्रगीत “वन्दे मातरम” सभी स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में हफ्ते में एक दिन गाना होगा जिसके बाद कथित धर्म के ठेकदारों समेत ये राष्ट्रवाद और वो गद्दार का टेस्ट मैच कई दिनों तक खेला जाना तय था पर अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया गया जिसके बाद राजनीति के सुर बदल गये पर एक अच्छी खबर यह रही कि सीबीआई कोर्ट ने 20 वर्षीय पिंकी सरकार रेप और मर्डर केस में नोएडा के नरभक्षी पंढेर और कोली को दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई। तो इसी वर्ष अारुषि-हेमराज मर्डर केस में तलवार दम्पत्ति को रिहा भी किया।

देश में अन्य मौलिक मुद्दों को किनारे करते हुए अचानक शिक्षा के बड़े संस्थानों के पाठ्यक्रम बदलने की बात होने लगी। पूर्व इतिहासकारों ने जिन राजाओं को हराया था उन्हें इतिहास में पुन: जीताने की बात हुई हर धर्म-मजहब के लोग आत्ममुग्ध होकर अपने-अपने राजाओं के पूर्व चारणों की भांति विरद बखान करने लगे। कई राज्यों में बाढ़ का आना, जनधन हानि होना और भीड़ द्वारा हुई कुछ हिंसात्मक लिंचिग की घटनाओं जुनैद और पहलु खां पर “नॉट इन माय नेम” को लेकर खूब प्रदर्शन होना भी इसी वर्ष के मुद्दे बने। जुलाई माह में ही आईसीसी वुमेन्स क्रिकेट वर्ल्डकप में भारतीय महिला टीम का फाइनल में हारने के बावजूद भी पूरे देश का मन जीतना भी गर्व का क्षण बना।

Indian Women's Cricket Team
भारतीय महिला क्रिकेट टीम

अमरनाथ यात्रियों पर किये गये हमले ने मन को व्यथित और विचलित किया तो अचानक कई राज्यों में महिलाओं की चोटी कटने की घटना से भी कई दिनों तक देश को रूबरू होना पड़ा। बाबा राम-रहीम की सज़ा को लेकर सियासत हुई दंगे और धार्मिक आस्थाओं को लेकर खूब सवाल जवाब बने। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से 2022 तक न्यू इंडिया बनाने का ऐलान किया, साथ ही 22 अगस्त की सुबह देश के इतिहास की एक बहुत बड़ी तारीख तब बन गयी जब एक साथ तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया।

मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ मिलने पर बढ़-चढ़कर बधाई दी, प्रवक्ताओं के अच्छे दिन आए ही थे कि नौ जजों की बेंच ने निजता के अधिकार पर ऐसा फैसला सुनाया जो सरकार की तमाम दलीलों के उलट था, पर इतने स्वांग देखकर चीन डोकलाम से जरूर अपना टांडा बोरी लेकर रफा-दफा हो गया, ये देश की बड़ी विजय थी लेकिन खुशी की यह खबर ज्यादा देर ना टिक सकी और खतौली की रेल दुर्घटना और उसके बाद सामने आए तथ्यों ने आम आदमी की सुरक्षा पर सवाल उठा दिया। इसके बाद गुजरात से कांग्रेस नेता अहमद पटेल का राज्यसभा में जीतना और विपक्ष को कुछ दिन के लिए चुनाव आयोग पर यकीन होना खुशी की खबर बनी।

इतने में गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में बच्चों की भयावह मौत की खबर आ गई, जिसमें सरकार को खासी फजीहत का सामना करना पड़ा। नीतीश कुमार का तीर लालू की लालटेन पर लगना और गठबंधन टूटना भी इसी वर्ष का हिस्सा बना। पटना में महागठबंधन के कुनबे के 18 विपक्षी दलों की लालू-शरद यादव की महारैली नोटबंदी से ये जीडीपी का गिरना मनमोहन सिंह का कद उठा गई।

गोरखपुर घटना की तस्वीर, फोटो आभार: गेटी इमेज

राष्ट्रगान पर भी बवाल मचा लेकिन सबसे बड़े दुःख का विषय यह रहा कि रेयान इंटरनेशनल स्कूल में 7 साल के बच्चे प्रधुमन के साथ जो घटना घटी वो पूरे देश और समाज को हिला देने वाली रही। इसके बाद एक ओर दुर्भाग्यपूर्ण घटना में वरिष्ठ पत्रकार और दक्षिणपंथियों की आलोचक रही गौरी लंकेश की बेंगलुरु में गोली मारकर हत्या कर दी गई यह भी समूचे राष्ट्र के लिए शर्म का विषय था. रोहिंग्या शरणार्थी मामला रहा हो ताजमहल को लेकर विवाद बना हो। पद्मावती के जौहर पर बयान चले हो या भारतीय महिला हॉकी टीम का एशिया कप में शानदार प्रदर्शन कर खिताब अपने नाम करना खुशी, गम और चिंता में हम सब डूबे रहे।

लेकिन नवम्बर माह देश की एक बेटी मानुषी छिल्लर मिस वर्ल्ड 2017 की विजेता बनीं कुछ पल सब कुछ भूला दिया। गुजरात के चुनाव में जनेऊ और मंदिर-मंदिर भी इस वर्ष राजनितिक अखाड़ों में पहलवान की भांति नज़र आया। गुजरात में 150 सीट का दावा करने वाले नेताओं की जोड़ी को चुनाव जितवाने में पसीना आ गया और वह 99 सीटों तक सिमट गए। हिमाचल में भी कमल खिल गया, टूजी घोटाले में सभी आरोपियों का बरी होना, राहुल का कांग्रेस अध्यक्ष बनना हो या नेताओं की अमर्यादित नीच-ऊँच की भाषा रही हो।

सच लिखूं तो इस वर्ष मुझे कई बार देश लोकतंत्र नज़र नहीं आया। प्रशासनिक नाकामयाबी कह लीजिये या भीड़ द्वारा हत्याओं के पल, देश में शर्मिंदगी का विषय रहे। लेकिन इसके बावजूद गर्व गौरव और कामयाबी कहने को यह वर्ष देश के वैज्ञानिकों, सीमा प्रहरियों और देश की बेटियों के नाम रहा।…राजीव चौधरी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *