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“लव जिहाद” के रास्ते में सुप्रीम कोर्ट का रोड़ा

बीते वर्ष मुस्लिम युवक शफीन पर हिंदू लड़की हादिया को फुसलाकर शादी करने और जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराने वाले मामले को केरल उच्च न्यायालय ने इसे लव जिहाद करार देते हुए शादी को निरस्त कर दिया था. हालाँकि लड़की कोर्ट में कहती रही कि उसपर कोई दबाव नहीं, उसने अपनी मर्जी से विवाह किया है. लेकिन कोर्ट ने उसकी एक ना सुनी और इस निकाह को निरस्त कर दिया था. इसके बाद आरोपी युवक शफीन इस मामले को उच्चतम न्यायालय लेकर आया था. उच्चतम न्यायलय में लड़के पक्ष के वकील कपिल सिब्बल की लाख अपील के बाद बाद भी उच्चतम न्यायालय ने हिन्दू महिला के धर्मांतरण और मुस्लिम व्यक्ति से उसकी शादी के मामले की जांच एनआईए से कराने का आदेश दिया है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने लव जिहाद के कुछ मामलों में जांच के बाद यह कहा है कि धर्मांतरण के बाद महिलाओं को खूंखार आतंकी संगठन आईएस में शामिल होने के लिए कथित तौर पर सीरिया भेजा जा रहा था.

मतलब मामले को कैसे भी समझा जा सकता है जैसे पहले किसी अन्य धर्म की युवती से प्रेम उसके बाद विवाह और विवाह के बाद उसका ब्रेनवाश कर उसे सीरिया में कुख्यात आतंकी संगठन आई एस के लिए भेज दो. वहां उसका इस्तेमाल मानव बम या आतंकी लड़ाकों के लिए यौनदासी के रूप में किया जा सकता. भारत सरकार के एक अधिकारी ने कहा है कि एक हिन्दू महिला के धर्मांतरण और मुस्लिम व्यक्ति से उसकी शादी की एनआईए जांच में केरल में हाल में सामने आए ऐसे अन्य संदिग्ध मामलों को भी शामिल किया जा सकता है. आतंक रोधी जांच एजेंसी ने दावा किया कि केरल में यह कोई इक्का-दुक्का घटना नहीं है, बल्कि एक सिलसिला चल रहा है.

इस कथित लव जिहाद को ज्यादा समझने के लिए थोडा अतीत ने जाना होगा 26 जून 2006 केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमान चांडी द्वारा केरल विधानसभा में दिए एक लिखित जवाब से केरल का हिन्दू समाज स्तब्ध रह गया था जब एक सवाल के जवाब में, चांडी ने बताया था कि 2006 से 2012 तक, राज्य में 7713 लोग इस्लाम में मतांतरित किए गए हैं. इनमें कुल मतांतरित 2688 महिलाओं में से 2196 हिन्दू थीं और 492 ईसाई लेकिन इस रपट के तुरंत बाद मुस्लिम गुटों के दबाव पर राज्य सरकार ने अदालत में प्रतिवेदन दर्ज करके उसका ठीक उलट कहा कि “लव जिहाद” जैसी कोई चीज नहीं है.

जबकि उसी दौरान केरल से प्रकाशित एक पत्रिका में साफ-साफ छपा था कि “लव जिहाद” केरल के संभ्रांत हिन्दू परिवारों और रईस ईसाई परिवारों को भी बेखटके निशाना बना रहा है. इसके लिए व्यावसायिक कालेजों और तकनीकी शिक्षण संस्थानों पर नजर रखी जाती है. मुस्लिम गुट मुस्लिम लड़कों को तमाम तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम करने और उनमें गैर मुस्लिम लड़कियों को इनाम देने को उकसाते हैं ताकि उन्हें फांसा जा सके. जो लड़कियां उनकी तरफ आकर्षित होती हैं उन्हें मुस्लिम लड़कियों के साथ घुलने-मिलने का भरपूर मौका दिया जाता है. इन शुरुआती तैयारियों के बाद, “लव जिहाद” के खाके को क्रियान्वित किया जाता है. जैसे ही प्रतियां छपकर आईं, पूरे केरल में बड़ी संख्या में मुस्लिम कट्टरवादियों ने इन्हें खरीदा और फाड़ कर जला डाला. अगले दिन दुकानों में गिनती की प्रतियां ही रह गईं थी.

राजनैतिक स्तर पर चांडी के बयान की आलोचना के बाद सेकुलर मीडिया ने वहां के मुख्यमंत्री की इस स्पष्ट स्वीकारोक्ति को पूरी तरह अनदेखा कर दिया था. दक्षिण भारत के इस मामले को उत्तर भारत में बड़े स्तर पर हवा तो मिली लेकिन इस लव जिहाद को राजनीतिक एजेंडा बताकर लोग कन्नी काटते नजर आये. लेकिन केरल में इस गुप्त एजेंडे के तहत प्रेम जाल में फांसकर हिन्दू युवतियों से निकाह करके उन्हें धर्मान्तरित करने और गरीबों को लालच देकर मतांतरित करने का षड्यंत्र जारी रहा 2012 में छपी साप्ताहिक पत्रिका के आंकड़े बताते हैं कि केरल में हर महीने 100 से 180 युवतियां धर्मान्तरित की जा रही हैं.

उसी दौरान भारत की एक बड़ी पत्रिका के अनुसार मालाबार की एक इस्लामी काउंसिल के 2012 तक के धर्मांतरण के आंकड़े बताते हैं कि 2007 में 627 लोग मुस्लिम बने, जिसमें से 441 हिन्दू थे और 186 ईसाई. 2008 में 885 में से 727 हिन्दू थे, 158 ईसाई. 2009 में 674 में से 566 हिन्दू थे, 108 ईसाई. 2010 में 664 में से 566 हिन्दू थे, 98 ईसाई. 2011 में 393 में से 305 हिन्दू थे, 88 ईसाई. एक बात यहाँ स्पष्ट कर दूँ धर्मान्तरित होने वालों में बड़ी संख्या युवतियों की रही है.

इन सब आंकड़ों के बीच अजीब बात है कि गैर मुस्लिमों को फुसलाने के साथ ही, अलगाववादी गुट मुस्लिम युवतियों को किसी गैर मुस्लिम लड़के से बात तक नहीं करने देते. ये कट्टरवादी तत्व मुस्लिम महिलाओं को हिन्दुओं के घरों में काम करने से रोकते हैं. साप्ताहिक की रिपोर्ट एक दिलचस्प आंकड़ा देती है कि 2008 से 2012 तक, महज 8 मुस्लिम महिलाओं ने ही गैर मुस्लिम पुरुषों से प्रेम विवाह किया है. मतलब साफ है कि केरल के सभी 14 जिलों में श्लव जिहादश् जोरों पर है.

मामला सिर्फ केरल ही नहीं अब उत्तर भारत में भी अपने पैर पसार चूका है जिसका सबसे बड़ा खुलासा वर्ष 2014 में नेशनल शूटर तारा शाहदेव के मामले में देखा गया था. लेकिन उस समय भी सेकुलरवादी नेताओं और मीडिया ने इसे झूठा बताने का कार्य किया था जो अब सीबीआई जाँच में सच पाया गया है. असल में यह एक सोचा समझा धार्मिक षड्यंत्र है इसे केरल की हदिया वाले मामले में आसानी से समझा जा सकता है कि आरोपी युवक शफीन क्या इतना धन या राजनैतिक हैसियत रखता है कि वो कांग्रेस के बड़े नेता और महंगे वकील कपिल को अपनी पेरवी के लिए खड़ा कर सकता है? इससे भी साफ समझ जा सकता है शफीन के पीछे किन बड़ी राजनैतिक और धार्मिक संस्थाओं का हाथ है?..राजीव चौधरी

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