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नया वर्ष नया क्या देगा ?

हर साल 1 जनवरी को नया साल मनाया जाता है, शानदार आतिशबाजी कर पूरा विश्व अगले 365 दिन के केलेण्डर में प्रवेश करता है| किन्तु प्रश्न यही अटकता है की आखिर उसमे नया क्या आएगा? क्या दिल्ली की जहरीली हवा साफ़ हो जायेगी? क्या पानी शुद्ध होकर मिलने लगेगा? क्या सभ्य कहलाये जाने वाला समाज अपनी जिम्मेदारी समझने लगेगा! आज दिल्ली समेत देश के कई शहरो में ये बहस तेज़ है कि प्रदूषण को कैसे काबू किया जाये|
एक पीढ़ी जब समय के साथ आगे बढती है तो दूसरी पीढ़ी के हाथ में कुछ चीजे देकर जाती है जिन्हें हम आजादी, न्याय, परम्परा, परिवार और प्रकृति के नाम से जानते है, और हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है की हम उन्हें सम्हालकर रखे ताकि हम भी अगली पीढ़ी तक उसे सुरक्षित पंहुचा सके किन्तु आज के हालत देखकर लगता है कि हम कहीं ना कहीं अपने कर्तव्यो से विमुख हुए जो आज हमे स्वच्छ वायु भी बाजार से खरीदनी पड़ेगी प्रकृति ने अग्नि जल, वायु, पर सबका समान अधिकार दिया किन्तु जिस तरह बोतलबंद पानी और (गैस सिलेंडर) अग्नि के बाद अब केंट कम्पनी ने हवा शुद्ध करने की मशीन बाजार में उतारी है उसे देखकर तो यही लगता है कि प्रकृति और जीवन पर केवल धन का अधिकार होने लगा है! रामायण में एक प्रसंग है कि खरदूषण नाम के राक्षस ऋषि-मुनिओं को परेशान किया करते थे तब गुरु वसिष्ठ ने दशरथ पुत्र राम,लक्ष्मण के सहयोग से उनका अंत किया था| परदूषण शब्द का शाब्दिक अर्थ दूषित होता है अत: जरूर वहां का वातावरण दूषित रहा होगा जिसे यज्ञ द्वारा शुद्ध किया गया होगा| आज जिस तरह से देश की नदियाँ,झीले, प्रदूषण की मार झेल रही है और लोग साफ़ पानी, शुद्ध हवा को तरस रहे है उसे देखकर लगता नया वर्ष भी कुछ ज्यादा विशेष नहीं होगा|
आज जिस तरह मनुष्य ने अपनी सुख सुविधाओं के लालच में अपना जीवन दांव पर लगा दिया ऐसा नहीं की अब कुछ उपचार नहीं है| बल्कि उपचार का समय ही अब आया है| हम वर्षो से ज्वलनशील पदार्थो के लिए अरब देशों पर निर्भर है| जबकि हमे अपने उर्जा के स्रोत कुछ यूरोपीय देशो की तरह हवा, पानी और धूप पर करनी थी| आज धूप के द्वारा सोलर उर्जा का निर्माण हो रहा है जिसमे न के बराबर प्रदूषण है| ठीक इसी तरह पवन भी उर्जा का बड़ा स्रोत बन सकती है और पानी से बनी उर्जा हम का उपयोग कर ही रहे है|

दूसरा हमे अपना पब्लिक ट्रांसपोर्ट मजबूत करना होगा| क्योंकि धनी देश वो नहीं होता जिसके हर नागरिक पर गाड़ी हो बल्कि धनी देश वो होता है जिसके धनी निवासी भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते है| आज यूरोप के कई देशों में सिर्फ पब्लिक ट्रांसपोर्ट ही मज़बूत नहीं है बल्कि यहां हवा कीलगातार मॉनिटरिंग होती है और जैसे ही हवा में प्रदूषण का स्तर अधिक पायाजाता है तो मेट्रो फ्री कर दी जाती है ताकि लोग मोटरसाइकिल या गाड़ी छोड़करट्रेन में आ जायें इससे प्रदूषण स्तर को तुरंत कम करने में काफी मदद मिलतीहै। तीसरा वहां के फूटपाथ काफी चौड़े होते है जिसपर लोग आराम से पैदल चल लेते है जबकि हमारे देश में फूटपाथ दुकानों और गाड़ियों के पार्किंग स्थल में बदल चुके है कई जगह तो फूटपाथों पर बाजार तक लगते है| सरकार को इस दिशा कठोर कदम उठाने होंगे|
इन सब के बाद हमें उस और जाना होगा जो हमारे ऋषि-मुनि बड़ी लम्बी तपस्या कर हमे प्रदान कर गये थे यहाँ से आगे का जीवन हम यदि इनके अनुसार भी जिए तो भी हमे अनेक कष्टों से छुटकारा मिल सकता है उसके लिए हमे वायु मॉनिटरिंग उपकरण की जगह हम यदि सप्ताह में एक बार भी यज्ञ करे तो हम अपने आस-पास की वायु को शुद्ध कर सकते है| क्योंकि हम प्रकृति को उपकरणों से नहीं जीत सकते वो हमे माता की तरह तभी दुलार देगी जब हम पुत्र की भांति उसकी सेवा करेंगे जिसका उदहारण नेपाल समेत पुरे विश्व के भूकंप झटकों से ले सकते है|

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