वेद संस्कृत में ही क्यों ?
प्रश्न: किसी देश-भाषा में वेदों का प्रकाशन न करके संस्कृत में क्यों किया ?
उत्तर: जो किसी देश-भाषा में प्रकाश करता तो ईश्वर पक्षपाती हो जाता, क्योंकि जिस देश की भाषा में प्रकाश करता उनको सुगमता और विदेशियों को कठिनता वेदों के पढ़ने-पढ़ाने की होती। इसलिए संस्कृत ही में प्रकाश किया, जो किसी देश की भाषा नहीं। और वेद-भाषा अन्य सब भाषाओं का कारण है। उसी में वेदों का प्रकाश किया।
जैसे ईश्वर की पृथिवी आदि सृष्टि सब देश और देशवालों के लिए एकसी और सब शिल्पविद्या का कारण है। वेसे परमेश्वर की विद्या की भाषा भी एक सी होती चाहिए कि सब देशवालों को पढ़ने-पढ़ाने में तुल्य परिश्रम होने से ईश्वर पक्षपाती नहीं होता।
-महर्षि दयानन्द सरस्वती
सत्यार्थ प्रकाश के अनमोल वचन