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सन्त गुरू रविदास और आर्य समाज

भारत के प्रसिद्ध सन्‍तों में शामिल गुरू रविदासजी ने अपनी अन्‍त: प्रेरणा पर सांसारिक भोगों में रूचि नहीं ली। बचपन में ही वैराग्‍य-वृति व धर्म के प्रति लगाव के लक्षण…

वेदों में प्रतिपादित समाजवाद: आदर्श समाज निर्माण का सर्वश्रेष्ठ सिद्धांत

संसार में अनेक वाद प्रचलित हैं। इनमें आस्तिकवाद, नास्तिकवाद, एकेश्वरवाद, बहुदेव वाद, भोगवाद, त्यागवाद, साम्यवाद, समाजवाद इत्यादि। वेद इन सबकी उद्गम स्थली हैं पक्ष-विपक्ष के रूप में वहां इन सभी का…

व्रतधारी क्षत्रिय

धृतव्रताः क्षत्रिया यज्ञनिश्कृतो बृहाद्दिवा अध्वराणामभिश्रियः। अग्निहोतार ऋतसापो अदुहोऽपो असृजन्ननु  त्रतेर्ये।। ऋ. 10/66/8 अर्थ-(धृतव्रताः) अन्याय को दूर करने का व्रत किया हो जिसने (क्षत्रियाः) पर पीड़ा-निवारक (यज्ञ निश्कृतः) यज्ञादि उत्तम कर्मों को निःषेश रुप…

अनोखे शिष्य: भाई परमानन्द जी

सन् 1905 में महात्मा हंसराज जी ने अपने काॅलेज के एक होनहार प्राध्यापक महोदय को धर्म-प्रचार के निर्मित पूर्वी अफ्रीका भेजा था। वहा° जाते ही वे अपने काम में जुट गए।…