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सत्यार्थ प्रकाश : एक समाज-वैज्ञानिक दृष्टि

आर्ष ग्रंथ भारतीय मनीषा के अद्भुत अवदान हैं जिनकी मानव-जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। वैदिक वाड्मय ज्ञान-विज्ञान का विश्वकोश है तो ‘सत्यार्थ प्रकाश’ को विश्वकोशों का ‘विश्वकोश’ कहा जा…

काश: एक ऐसे तीर पहले चल गये होते

बचपन में मैंने पढ़ा था कि अति सर्वत्र वर्जयेत्’ अर्थात् अति का सभी जगह निषेध है। लेकिन इसका सही अर्थ अब समझ आया जब अंडमान निकोबार के द्वीप समूह के…

वेदों में वर्णित कृषि-विज्ञान की आधुनिक उपयोगिता

– डॉ. भारती आर्य कृषि-विज्ञान मानव जीवन से साक्षात् रूप से जुड़ा हुआ है। कृषि के द्वारा ही अन्न की प्राप्ति होती है। अथर्ववेदद के अनुसार अन्न ही सभी प्राणियों…

साल 84: दाग अभी धुले नहीं

भारतीय न्याय व्यवस्था पर कितना गर्व करें और कितनी शर्म ये तो सभी लोगों का अपना-अपना नजरिया है। लेकिन कुछ मामले ऐसे होते हैं जो संवेदना के साथ-साथ समय रहते…