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महात्मा गाँधी,इस्लाम और आर्यसमाज

गाँधी जयंती के अवसर पर विशेष रूप से प्रकाशित

महात्मा गाँधी ने आर्यसमाज, स्वामी दयानंद जी, अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश और स्वामी श्रद्धानंद जी के विरुद्ध लेख २९ मई १९२४ को “हिन्दू मुस्लिम वैमनस्य , उसका कारण और उसकी चिकित्सा “के नाम से लिखा था। इस लेख में भारत भर में हो रहे हिन्दू-मुस्लिम दंगो का कारण सत्यार्थ प्रकाश में इस्लाम विषय पर स्वामी दयानंद का लेखन, आर्यसमाज द्वारा जबरदस्ती हिन्दू से मुस्लिम बनाये गये बिछुड़े भाईयों को वापिस लाने के शुद्धि के कार्य को बताया गया था।

काल की विडंबना देखिये उन्ही हिन्दू-मुस्लिम एकता के समर्थक महात्मा गाँधी का सबसे बड़ा बेटा हीरालाल गाँधी जब मुस्लमान बन गया तब गाँधी जी की पत्नी कस्तूरबा ने आर्यसमाज से उसकी शुद्धि की अपील कर उसे वापिस वैदिक धर्म में सम्मिलित करने की आर्यसमाज से प्रार्थना की थी और अब्दुल्लाह गाँधी फिर से आर्यसमाज द्वारा शुद्ध होकर हीरालाल गाँधी बने थे। इतिहास की इस गाथा को आप न किसी पाठ्य पुस्तक में पढ़ पायेगे और न ही किसी भाषण में सुन पायेगे। आप इसे यहाँ पर पढ़ सकते हैं।
डॉ विवेक आर्य

दलितौद्धार के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले हुतात्मा वीर मेघराज

वीर मेघराज जी स्वामी दयानंद की उसी शिष्य परम्परा के अनमोल रत्न थे जो दलितौद्धार जैसे पवित्र कार्य के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटे.…

वैदिक नवरात्री

आज प्रात: काल मेरे मित्र अरुण जी ने एक बढ़िया प्रश्न मुझसे किया की नवरात्रों को वैदिक दृष्टीकौन से कैसे बनाये। मैंने उत्तर दिया की वैदिक संस्कृति में नवरात्रे वर्ष…

शहीद भगत सिंह क्यों आदर्श है?

‘मैं नास्तिक क्यों हूँ? शहीद भगतसिंह की यह छोटी सी पुस्तक वामपंथी, साम्यवादी लाबी द्वारा आजकल नौजवानों में खासी प्रचारित की जा रही है, जिसका उद्देश्य उन्हें भगत सिंह के…