भारत के प्रसिद्ध सन्तों में शामिल गुरू रविदासजी ने अपनी अन्त: प्रेरणा पर सांसारिक भोगों में रूचि नहीं ली। बचपन में ही वैराग्य-वृति व धर्म के प्रति लगाव के लक्षण…
वेद प्रचार एवं उपदेशो का सफल सफल उपासक होना आवश्यक
महर्षि दयानन्द ने आर्य समाज की स्थापना वेदों के प्रचार व प्रसार के लिए की थी और यही आर्य समाज का मुख्य उद्देष्य भी है। वेदों के प्रचार व प्रसार…
ईश्वर साक्षात्कार के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मत -मतान्तरों की भिन्न उपासना पद्धत्तियों के एकीकरण की आवशयक्ता
हम ईश्वर को मानते हैं और हमें आस्तिक कहा जाता है। संसार के अधिकांश मत व सम्प्रदाय, सनातन धर्मी, जरदुश्त व पारसी, ईसाई, इस्लाम आदि ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास…
रंग-भेद आदि भेदभाव एवं वैदिक धर्म
यह संसार जिसमे सूर्य , चन्द्र , पृथ्वी , अग्नि, वायु , जल, आकाश आदि नाना प्रकार के भौतिक पदार्थ है , यह सदा से बने हुए नहीं हैं ,…
भारत माता के सम्मान के रक्षक शहीद ऊधम सिंह
सृष्टि का आरम्भ तिब्बत से हुआ। ईश्वर ने वेदो का ज्ञान सृष्टि की आदि में चार ऋषियों अग्नि, वायु , आदित्य व अंगिरा व उनके माध्यम से सभी मनुष्यों को…