एक ज़माना था जब कोई भी मुंह उठाता और दिल्ली पर आक्रमण कर देता था। उसी तरह आज भारत में कोई भी मुंह उठाकर पाकिस्तान जिंदाबाद और भारत के टुकड़े…
क्या था ऋषि दयानन्द का बोध
सारी दुनिया से न तो महर्षि का परिचय हुआ, ना ही महर्षि के उद्देश्यों को वे समझ सके इसलिए ऐसे अपरिचित व्यक्तियों के संबंध में तो सोचना भी क्या ?…
ऋषि दयानन्द 19 वीं सदी की एक महान् विभूति
उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य तथा अन्तिम चरण में भारत का भाग्य एक नया मोड़ ले रहा था। सदियों से सुप्त पड़ी इस देश की चेतना अव्यक्त से व्यक्त की तरफ…
प्रमोशन में आरक्षण को लेकर फिर तकरार
आरक्षण को लेकर एक बार राजनितिक बयानबाजी की तलवारें इस कारण तन गयी है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में इस बात का जिक्र…
सावरकर अम्बेडकर और वामपंथ
एक समय वो भी आया जब वामपंथ का समाजवाद का नशा कई देशों में फैला, राजतन्त्र के खिलाफ क्रांतियाँ हुई। किसान गरीब समाजवाद के पैरोकार बने वामपंथी कई देशों में…