Categories

Posts

जीसस ही ईश्वर है तो ईश्वर कहाँ है?

जीसस के अनुयायियों ने कब और क्यों जीसस को भगवान के रूप में कहना शुरू किया और इसका क्या कारण था ऐसे कई सवाल अभी भी मिथकों में लिपटे पड़े है। कुछ लोग कहते हैं कि जीसस सिर्फ एक आदमी था जिसे उनकी मृत्यु के बाद भगवान बना दिया गया। जबकि बाइबल कहती है कि जीसस ईश्वर के पुत्र और स्वयं पूरी तरह से ईश्वर थे। हालाँकि ऐसा बाइबिल में करीब 2500 साल पहले लिखा गया था। परन्तु अब कुछ जिज्ञासु लोग प्रश्न करते है कि भगवान कैसे एक आदमी बन गया या एक आदमी कैसे भगवान बन गया?

हम इस सवाल पर नहीं ठहरते कि क्या जीसस ईश्वर थे या वो ईश्वर के पुत्र। या फिर क्या जीसस वास्तव में मरने के बाद जिन्दा हुए थे और क्या वह मरे हुए लोगों को जिन्दा कर दिया करते थे। हम इन तमाम प्रश्नों को खुले छोड़ देते हैं। ये सब धार्मिक विश्वासों, आस्थाओं पर आधारित धार्मिक प्रश्न हैं। किन्तु हम एक इतिहासकार के रूप में यह जानने की कोशिश तो कर सकते कि क्या वास्तव ऐसा ही था या कुछ और था?

असल में ये ठीक उसी समय की कहानी है जब रोमन जनता अपने सम्राटों को ईश्वर कहा करती थी। ये सच है कि जीसस एक अध्यात्मिक व्यक्ति थे कुछ लोग उनका अनुसरण भी करते थे। तो यह एक शाब्दिक दुर्घटना हो सकती है। जैसे भारत में ही सन 1830 में मृत्यु को प्राप्त हुए स्वामिनारायण  उर्फ सहजानन्द स्वामी को सब अवतारों का अवतार घोषित कर भगवान बनाकर आज उनके नाम से अक्षरधाम मंदिर देश विदेश में खड़े कर दिए इसी तरह जीसस को भी सम्राट की उपाधि दे दी हो या फिर जीसस और वहां तत्कालीन सम्राटों के बीच एक प्रतियोगिता हो कि भगवान कौन? हालाँकि इस प्रतियोगिता में जीसस की हार हुई और दंड स्वरूप जीसस को सूली पर चढ़ा दिया गया।

कहा जाता है मृत्यु के पश्चात जीसस को एक कब्र में रखा गया था और तीन दिन बाद जब कुछ महिलाएं वहां पहुंची तो उस कब्र को खाली पाया। इसके बाद उनके स्वर्ग में जाने की कहानियों का अविष्कार हुआ। लेकिन क्या सिर्फ खाली कब्र की वजह से लोग उनके ईश्वर होने पर विश्वास करने लगे? सोचिए आप किसी को कब्र में दफनाते हैं और उसके तीन दिन बाद आप वापस जाते हैं और शरीर कब्र में नहीं है, तो आपके मन पहला विचार क्या आएगा! क्या किसी ने शरीर चुराया है? या किसी ने शरीर को स्थानांतरित कर दिया हो? ये आ सकता है कि अरे कहीं में मैं गलत कब्र पर तो नहीं आ गया हूँ? या इन सबके विपरीत ये विचार आएगा कि वाह वह स्वर्ग में ले जाया गया है और ईश्वर का बेटा बन गया है?

हालाँकि ऐसे सब विचार लोगों की सोच और विवेक पर निर्भर करते है। किन्तु कब्र का खाली पाया जाना एक ऐतिहासिक सवाल है और स्वर्ग में जाना धार्मिक आस्था का और आस्था सवालों को ढक देती है; परन्तु इतिहास तो हमेशा नये सवाल कुरेदता है। इसलिए इतिहास कहता है खाली कब्र भ्रम पैदा कर सकती है, अगर भ्रम के बजाय विश्वास पैदा हो तो इसे आध्यात्मिकता की कमी समझी जाये।

बताया जाता है जीसस को सूली रोमन गवर्नर पोंटियस के आदेश पर हुई थी। एक अपराधी मानते हुए उन्हें यह सजा दी गयी थी तो जाहिर है उनका शव किसी तरह की आम कब्र में दफना दिया गया होगा! जीसस की मृत्यु के बाद कब्र से गायब होने की घटना की अफवाह रोमन साम्राज्य में फैलती गयी लोगों ने अलग-अलग तरीकों से घटना का चमत्कारिक ढंग से उल्लेख किया कि रोम में जबरदस्त बदलाव आ गया। सम्राट कॉन्सटेंटाइन को धर्म की समझ कितनी थी कह नहीं सकते लेकिन राजनीति की समझ थी, विद्रोह का भय था अतरू सम्राट कॉन्सटेंटाइन जनता के इस विचार के साथ खड़ा हो गया और जीसस को मरणोप्रान्त अपने समकक्ष ईश्वर की उपाधि तक प्रदान कर दी।

यदि रोम का इतिहास देखा जाये तो उस समय का रोम आज की तरह शिक्षित नहीं था। जीसस यदि स्वयं के ईश्वर होने का दावा कर रहे थे तो सोचिए वह उन लोगों से कह रहे थे जो कबीलों और गुफाओं में रहते थे। बिखरा हुआ समाज था, लोग एक मत नहीं थे। जीसस की मृत्यु के बाद रोमन सम्राट ने इसका लाभ उठाया और रोम को ईसाई धर्म राज्य बना डाला यदि वह ऐसा नहीं करते तो रोम कभी भी प्रमुख धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक ताकत नहीं बन पाती। और यह सब इस दावे पर टिका था कि जीसस ही ईश्वर और ईश्वर के पुत्र थे। यदि इसे धार्मिकता के आधार पर भी देखें तो जैसा कि घोषणा की गयी कि जीसस ईश्वर थे और वह ईश्वर के बेटे थे क्या इस हिसाब ईश्वर दो नहीं हो गये? तो एक समय दो ईश्वर कैसे हो सकते हैं? क्योंकि एक ही समय में एक आदमी कहे कि वह ही ईश्वर है और वह ही ईश्वर का बेटा है तो दुविधा खड़ी हो जाती है। फिर तो ईश्वर की पत्नी भी होगी और ईश्वर की ससुराल भी, उसके माता पिता भी होंगे भाई बंधू भी तब क्या यह माना जाये कि इंसानों की तरह ईश्वर का भी अपना पूरा परिवार है?

 राजीव चौधरी 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *