Categories

Posts

New construction to begin in Gurukul Kangri after 80 years.

रविवार दिनांक 25 अगस्त को प्रातः 11 बजे महाशय धर्मपाल जी का गुरुकुल कांगड़ी की भूमि पर पदार्पण हुआ तब गुरुकुल के ब्रह्मचारियों द्वारा बैण्ड़ की धुन से पुष्प वर्षा करके चंदन का तिलक लगाकर यज्ञशाला में उनका स्वागत किया गया। इस अवसर पर सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रथान आचार्य बलदेव जी, उप-प्रथान सुरेशचन्द्र अग्रवाल जी,आर्य विद्या सभा कोषाध्यक्ष श्री धर्मपाल आर्य जी दिल्ली आर्य प्रितिनिधि सभा के प्रथान ब्र. राजसिंह आर्य जी, हरियाणा आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रथान आचार्य वजय पाल जी, गुरुकुल के आचार्य यशपाल जी, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. सुरेन्द्र कुमार जी, रजिस्टार ए.के. चोपड़ा जी, गुरुकुल परिवार के तथा विभिन्न प्रांतो के अधिकारनीय उपस्थित थे। इस अवसर पर गुरुकुल परिवार की ओर से सार्वदेशिक आर्य प्रितिनिधि  सभा के प्रथान आचार्य बलदेव जी, मंत्री श्री प्रकाश आर्य, उप-प्रथान श्री सुरेशचन्द्र अग्रवाल जी तथा सार्वदेशिक आर्य प्रितिनिधि सभा की अंतरंग बैठक में पधारे हुए सभी पदाधिकारी गणों का दिल्ली और हरियाणा से विशेष रूप से पधारे हुए विद्या सभा के पधारे हुए सभी सदस्यों का स्वागत किया गया।

इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए ब्र राजसिंह आर्य जी ने गुरुकुल परिसर की पवित्रता पर जोर देते हुए कहा की हम सभी को जो इस गुरुकुल की पुण्य भूमि से संबंद रखते है, का विशेषकर जिनका यहां निवास है उन्हें अपने निजी जीवन तथा खान-पान में पवित्रता के उच्च मापदण्डों का प्रयोग करके एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए। उन्होंने नवनियुक्त कुलपति जी के कार्यो की सराहना करते हुए इस संबंध में हरियाणा सभा के प्रथान श्री आचार्य विजय पाल जी ने इस अवसर पर गुरुकुल परिवार से इसकी उन्नति में हर प्रकार का सहयोग देने की अपेक्षा की। सार्वदेशिक आर्य प्रितिनिधि सभा के मंत्री प्रकाश आर्य जी ने कहा कि यह गुरुकुल कांगड़ी समस्त आर्य जगत की शान का प्रतीक है।

तीन सभाओं को केवल इसके संचालन की जिम्मेदारी है अतएव उन्होंने गुरुकुल के समस्त आर्या से इसकी चॅंहुमुखी उन्नति के लिए आह्वान किया, साथ ही वहा मौजूद दिल्ली और हरियाणा सभा के पदाधिकारी से कहा कि आपके पर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी आई है जिन हालातों में यह गुरुकुल प्राप्त हुआ है उनको सारा आर्य जगत भलीभांति देख रहा है। आपको बड़े धेर्य से ऋषि मिशन का यह काम पूरा करना होगा। सार्वदेशिक प्रितिनिधि सभा के प्रथान आचार्य बलदेव जी ने आर्य विद्या सभा के प्रथान बनने पर महाशय धर्मपाल जी का स्वागत करते हुए उनका धन्यवाद किया किउन्होंने इस जिम्मेदारी को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि सारे आर्य जगत को महाशय जी पर पूर्ण विश्वास है और भरोसा है कि उनके नेतृत्व में जो भी कार्य होगा वह अपने आप में उत्तम कोटि का होगा, उन्होंने गुरुकुल वासियों को यह विश्वास दिलाया कि गुरुकुल को स्वामी श्रह्नन्द के सपनों के अनुरूप बनाने का प्रयास होगा।

गत दिनों में जो कमजोरी जो न्यूनता इस गुरुकुल को देखनी पड़ी है जिनके कारण से गुरुकुल के हालात काफी खराब हुए हैं उनमे इतनी जल्दी से परिवर्तन आना संभव नहीं है फिर भी हमें इसमें शीघ्रताशीघ्र कार्य को आगे बढ़ने का प्रयत्न अवश्य करना चाहिए। गुरुकुल कांगड़ी आर्यां का एक पवित्र स्थान है तथा इसकी पवित्रता को बरकरार रखना निजी कर्तव्य है। इस अवसर परगुरुकुल के आचार्य यशपाल जी ने गुरुकुल की दयनीय अवस्था के विषय में जानकारी देते हुए कुछ अपने संस्मरणों को बताया। उन्होंने गुरुकुल के विकास के लिए नये भावनाओ की आवश्यकता बताई तथा यह भी कहा कि इस कार्य में सभी के सहयोग से ही सफलता मिल सकती है। गुरुकुल के कुलपति डा. सुरेन्द्र कुमार जी ने इस अवसर पर यहां गुरुकुल परिषद में पधारने पर सभा का आभार व्यक्त करते हुए यहां पर महसूस की गई अपनी पीड़ा को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि गत लम्बे समय से अधिकारी यहां की जिम्मेदारी को गलत ढंग से संभाले हुए थे जिसका नतीजा यह हुआ कि गुरुकुल निरन्तर दयनीय अवस्था को प्राप्त होता रहा और कुछ क्रिया कलापों से हालात यहा तक पहुच गए कि कभी जिस विश्वविद्यालय का नाम भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए बनी गरिमा वाली संस्थाओं के रूप में लिया जाता था उसकी विश्वविद्यालय संबंदी मान्यता को ही यू.जी.सी. द्वारा समाप्त कर दिया गया। इसके पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टे मिला हुआ है तथा वर्तमान में यह विश्वविद्यालय सी.ग्रेड की सूची में सूचीबह् है जो कि विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी हमें प्राप्त हुई है।

इसी के साथ-साथ उन्होंने कहा कि यदि हम गुरुकुल कांगड़ी फार्मेसी और गुरुकुल देहरादून की चर्चा करें तो यह दोनों संस्थाएं अत्यधिक घाटे, लगभग 7-8 करोड़ में चल रहीं हैं । जिनके बारे में आप सुनकर अत्यन्त चिंतित होंगे उन्होंने इस सारी स्थिति पर चिन्ता व्यक्त की तथा सभा ही यह विश्वास भी व्यक्त किया कि आचार्य बलदेव जी एवं महाशय ध्ार्मपाल जी के नेतृत्व में हम इन सब चुनौतियों को पार कर लेगें तथा स्वामी श्रदानंद ने जिस स्वप्न को लेकर के अपने तन-मन-ध्ान व सर्वस्व न्यौछावर करके इसकी स्थापना की थी, उस उद्देश्य के प्रति हम आगे बढ़ सकेगें। महाशय धर्मपाल आर्य जी तथा आर्य विद्या सभा के अन्य पदाध्ािकारियों के पधारने पर आयोजित स्वागत समारोह के अवसर पर एक अलग ही दृश्य उपस्थित हो गया इस समारोह मध्य में गुरुकुल के सहायक मुख्य  श्री जय प्रकाश विद्यालंकार जी ने जब दिल्ली आर्य प्रितिनिधि सभा के महामंत्री विनय आर्य जी को गुरुकुल के नये भावनाओ की आवश्यकता के संबंद में सूचित किया तो वही पर महाशय जी की अनुमति से अपील आ गई।

महाशय जी ने आर्थिक 15 लाख रुपये का सहयोग घोषित करके समस्त गुरुकुल वासियों में उत्साह का एक वातावरण बना दिया और उसके पश्चात् सार्वदेशिक आर्य प्रितिनिधि सभा के उपप्रध्ान श्री सुरेश चन्द्र अग्रवाल जी ने दो लाख 51 हजार रुपये, श्री ध्ार्मपाल आर्य जी ने 1 लाख रुपये एम.डी.एच. परिवार के श्री प्रेमकुमार अरोड़ा जी तथा श्री मनोज गुलाटी जी ने 51 हजार रुपये, दिये। छत्तीसगढ़ प्रान्तीय आर्य प्रितिनिधि सभा ने 51 हजार रुपये, आर्य प्रितिनिधि सभा हरियाणा ने 1 लाख रुपये दिल्ली आर्य प्रितिनिधि सभा ने 51 हजाररुपये, आर्य प्रितिनिधि सभा करोलबाग के प्रथान श्री कीर्ति शर्मा जी ने 51 हजार रुपये की घोषणा की, वैसे ही उपस्थित सभी आर्य जनो के परिवार के सदस्यों ने एक अद्भुत उत्साह पड़ता चला गया। तत्पश्चात् श्री जयसिंह राव गायकवाड़ जबलपुर ने 51 हजार, श्री दयाराम बसैये ने 25 हजार आर्य प्रितिनिधि सभा औरंगाबादकी ओर से घोषणा हुई थी।

उपस्थित सभी अर्याजानो ने अपनी आहुति डालने का संकल्प लिया कुलपति श्री सुरेन्द्र कुमार जी द्वारा 21 हजार रुपये की घोषणा के साथ गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के मान्य प्रध्यापकों महानुभावों ने भी 21 हजार व 11 हजार रुपये की घोषणा की। दिल्ली के युवा कार्यकर्म श्री आशीष आर्य जी ने 21 हजार रुपये की राशि देकर युवाओं को प्रेरित किया। साथ ही अन्य महानुभावों ने भी जिनकी सूची इस समाचार के नीचे अंकित की जा रही है। एक घटना स्मरण योग्य है। दिल्ली आर्य प्रितिनिधि सभा के उप प्रथान श्री कीर्ति शर्मा जी के साथ उनका भतीजे जोकि आर्यसमाज किशनगंज मिल एरिया के श्री वागीश शर्मा जी के सुपुत्र श्री सुविदित शर्मा भी उपस्थित थे वे अपने जीवन में पहली बार ही गुरुकुल कांगड़ी आयें थे। उन्होंने जब इस वातावरण को देखा उन्होंने यह घोषणा की कि अगले महीने मेरी नौकरी आरम्भ होने जा रही है। मैं अपने प्रथम वेतन का आधा भाग इस गुरुकुल को समर्पित करूंगा, उनकी इस घोषणा पर सभी ने उनका स्वागत किया तथा महाशय धर्मपाल जी ने सभी युवा दानियों तथा जिन प्राध्यापकगणों ने इसमें अपना सहयोग दिया उनको उनका स्वयं पुष्प मालाओं से अभिनन्दन किया। उन्होंने यह भी कहा कि अप्रैल में होने वाले वार्षिकोत्सव पर हम इसका उद्घाटन करना चाहेगें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *