धर्म जब तक निजी अनुभव तक सिमित रहे धर्म रहता है लेकिन जब धर्म के नाम के सहारे साम्राज्य खड़ा किया जाने लगे जबदस्ती या बहला फुसलाकर झुण्ड तैयार किये…
धर्म जब तक निजी अनुभव तक सिमित रहे धर्म रहता है लेकिन जब धर्म के नाम के सहारे साम्राज्य खड़ा किया जाने लगे जबदस्ती या बहला फुसलाकर झुण्ड तैयार किये…