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अनोखे शिष्य: भाई परमानन्द जी

सन् 1905 में महात्मा हंसराज जी ने अपने काॅलेज के एक होनहार प्राध्यापक महोदय को धर्म-प्रचार के निर्मित पूर्वी अफ्रीका भेजा था। वहा° जाते ही वे अपने काम में जुट गए।…