हुआ प्रकृति का निर्मल जीवन, स्वच्छ गम्य सब पन्थ गए बन। विमल व्योम में छिटके तारे, मुद्रित हुए है जिग्मिषु सारे।। -श्री गिरधरशर्मा ‘नवरत्न’ विजयार्थी विजयार्थ चले है, व्यापारी भी…
हुआ प्रकृति का निर्मल जीवन, स्वच्छ गम्य सब पन्थ गए बन। विमल व्योम में छिटके तारे, मुद्रित हुए है जिग्मिषु सारे।। -श्री गिरधरशर्मा ‘नवरत्न’ विजयार्थी विजयार्थ चले है, व्यापारी भी…